ऐसे दंडकारण्य के प्रदेश में भगवती चित्रोत्पला, जो नीलोत्पलों की झोंपड़ियों और मनोहर पहाड़ियों के बीच होकर बहती है, कंकागृद्ध नामक पर्वत से निकल अनेक दुर्गम, विषम और असम भूमि के ऊपर से, बहुत से तीर्थों और नगरों को अपने पुण्यजल से पावन करती, पूर्व समुद्र में गिरती हैं।